The world's second largest after the United Nations 'OIC' (संयुक्त राष्ट्र के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा संगठन ' ओआईसी ' )


 संयुक्त राष्ट्र के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा संगठन ' ओआईसी ' पाकिस्तान और बंगलादेश हैं इसके सदस्य लेकिन भारत नहीं क्यों ? आइये जानते है इसके बारे में। 




Organization of Islamic Co-operation ( इस्लामिक सहयोग संस्था ) - यह एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना 26 सितंबर 1969 में हुई थी।ओआईसी ' संयुक्त राष्ट्र ' के बाद  विश्व की दूसरी सबसे बड़ी संस्था कही जाती है।  यह एक धार्मिक संस्था है जो मुस्लिम धर्म से सम्बन्धित है। 57 मुस्लिम देश इस संस्था के सदस्य है। जो  प्रकार है-  


अफ़्रीकी देश -                       
       

  • अल्जीरिया  बेनिन     बुर्किना फासो  कैमरून  कोमोरोस  चाड                   जिबूती(Djibouti)      मिस्र    गैबॉन  गाम्बिया  गिनी-बिसाऊ 
  •  गिन्नी  आइवरी कोस्ट  लीबिया   माली मॉरिटानिया मोरक्को                      मोजाम्बिक   नाइजर  नाइजीरिया सेनेगल  सियार लिओने  सोमालिया 
  • सूडान टोगो   ट्यूनीशिया  युगांडा 

एशियाई देश -

  • अफ़ग़ानिस्तान  बहरीन   बांग्लादेश      ब्रूनेई  इंडोनेशिया    ईरान                    इराक    जॉर्डन कजाखस्तान     कुवैट        किर्गिज़स्तान      लेबनान 
  • मलेशिया           मालदीव         ओमान     पाकिस्तान    फिलिस्तीन     कतर    सऊदी अरब    सीरिया   तजाकिस्ता    तुर्कमेनिस्तान    संयुक्त अरब अमीरात 
  •    उज़्बेकिस्तान    यमन    


  • यूरोपीय देश -
  • अल्बानिया          अज़रबाइजान               तुर्की 

दक्षिण अमेरिकी देश -

  • गुयाना         सूरीनाम 
                                    
इसके साथ-साथ ' रूस ' और ' थाईलैंड ' इस संस्था के पर्यवेक्षक सदस्य है। 'ओ आई सी ' के सभी सदस्य देशो की आबादी मिलके तक़रीबन 160 करोड़ है।  कहा जाता है कि यह मुस्लिम जगत की सामूहिक आवाज है। 
-'ओ आई सी ' का मूल उद्देश्य है इस्लामी सामाजिक और आर्थीक मूल्यों की रक्षा करना।  संस्था के सभी सदस्यो के  बीच एकजुटता को बढ़ावा देना; सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, और राजनीतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए आपस के सहयोग को बढ़ावा देना। और अंतरराष्ट्रीय शांति बनाए रखना एवं मुस्लिम जगत के हितों की रक्षा करना। संयुक्त राष्ट्र की तरह इनकी भी मानवाधिकार की एक मापदंड है और इस संस्था  का उद्देश्य है, कि दुनिया में मुसलमानो के मानवाधिकार का हनन न हो। 
                    परन्तु इस संस्था की गौर से समीक्षा की जाए तो इसकी दोहरी मापदंड स्पष्ट छलकती है इसे हम भारत के साथ भी जोर कर देखा सकते है। इंडोनेशिया के बाद विश्व की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी भारत में रहती है और भारत से हर साल जाने वाले हज यात्रियों की संख्या 1,70,520 है जो कि विश्व के किसी भी देश से ज्यादा है इस नजरिये से देखा जाए तो ओआईसी की सदस्यता प्राप्त करने की सबसे मजबूत दावेदारी भारत की है। लेकिन यह एक बड़ी विडंबना ही की जहाँ विश्व की दूसरी सबसे बरी मुस्लिम आबादी रहती है उस देश के पास इस संस्था की सदस्यता नहीं है वही रूस एवं थाईलैंड जहाँ मुस्लिम आबादी न के बराबर है और ये दोनों देश इस संस्था के पर्यवेक्षक सदस्य है। हालांकि भारत भी इसकी सदस्यता के लिए उत्सुक नहीं है और कोई ख़ास प्रयास भी नहीं करता है। सं 2006 में सऊदी शासक ' अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज अल सऊद ' ने भारत की तरफ से पर्यवेक्षक सदस्यता की बात ओआईसी में रखने की पेशकश की थी लेकिन पाकिस्तान के विरोध की वजह से यह बात आगे नहीं बढ़ सकी।  अब हालाँकि माहौल ऐसा बन बन गया है कि अगर भारत सदस्यता प्राप्त करने के लिया प्रस्ताव दे तो भारत को समर्थन मिल जाएगा। लेकिन ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है कि भारत इसकी सदस्यता को ले कर इक्छुक है और शायद ही भविष्य में ऐसा कोई प्रयास करे। क्योंकि दुनिया में इस समय कुछ मुस्लिम देशो के लिए जो संकट उत्पन हुए हैं चाहे वह शर्णाथी संकट हो चाहे गृह युद्ध से जूझ रहे उन देशो की बात करे जहाँ के निर्दोष मुस्लिम नागरिक मरे जा रहे है और अपने घर अपने मुल्क को छोर कर विस्थापित होने और दरबदर भटकने को मजबूर हैं फिर भी कोई उन्हें शरण देने को तैयार नहीं है और परिणाम यह हो रहा है कि अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के जद्दोजहद में लगे लोग कही समुन्द्र में दुब कर मर रहे है तो कही आतंकी हमलो व बम धमाको में और कही भूक एवं ठण्ड से और उनके बच्चे कुपोषण से न चाहते हुए भी अपनी जान गवांने के लिए मजबूर है और अगर कुछ लोग इन सब से पार पाकर किसी देश की सीमा पर शरण लेने के लिए पहुंचते है तो उन्हें आतंकवादी के रूप में देखा जाता है और अपने देश के लिए खतरा बताकर अधिकतर देश उन्हें अपने देश में दाखिल नहीं होने दे रहे है इसप्रकार उन लोगो को कही शरण भी प्राप्त नहीं हो रही है इसका परिणाम यह हो रहा है वे लोग ना तो अपने देश जा सकते है और ना ही कोई और देश उन्हे अपने यहाँ आने दे रहा है और बीच में फंस कर अनेक कारणों से लोगो को अपनी जान गंवानी पर रही है। 
                                    
                                                           सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जिन देशों के नागरिकों के साथ यह सब हो रहा है वो सभी देश इस संस्था 'ओआईसी ' के सदस्य है तो बड़ा सवाल यह उठता है कि कहाँ गई वह सहयोग वाली भावना जिसके बल पर मुसलमानो के हितों की रक्षा के लिए इस संस्था को संगठित किया गया था। क्या 57 सदस्य देश मिलकर अपने कुछ सहयोगी देशो के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते ? यह इस संस्था की विश्वसनीयता पर एक बड़ा सवाल है। मुस्लिम जगत की आवाज कही जाने वाली यह संस्था अगर संकट में फंसे उन लोगो की आवाज नहीं बन सकती , तो क्या यह संस्था नाम मात्र की है ? और क्या इस संस्था के सदस्य देश बस अपनी उपस्थिति दर्ज कराने मात्र के लिए 'ओआईसी ' के सदस्य है ?     
                                                                           
                                                    और रही बात भारत की तो यह देश अपने सभी मज़हब के नागरिकों की सुरक्षा और अपने धर्मनिर्पेक्षता के लिए पुरे विश्व में उदाहरण है। आज न सिर्फ भारत में सबसे ज्यादा मुस्लमान रहते है, बल्कि इतिहास में अरब देशो के बाद विश्व में सबसे ज्यादा इस्लामिक साहित्य पर अगर कही काम हुआ है तो वह देश भारत ही है। आज मिस्र के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षालय भी भारत में ही है, जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे ' देवबंद ' में स्थित है, जिसका नाम ' दारुल उलूम ' है, इसी दारुल उलूम ने न सिर्फ अरब देशों, बल्कि विश्व को बड़े-बड़े इस्लामिक विद्वान भी दिए है। 

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